हे राधे

01-09-2025

हे राधे

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 283, सितम्बर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)


(राधा अष्टमी पर कविता) 
 
हे राधा! 
आप नाम नहीं, 
एक अनुपम अनुभूति हो, 
प्रेम का ऐसा अमृत
जो केवल हृदय की गहराइयों में 
उतर कर ही पिया जा सकता है। 
 
आपका पावन चरित्र, 
निष्कलंक, निर्मल और चिरशाश्वत
जैसे यमुना के जल में 
उतरते चंद्रमा का प्रतिबिंब
जो हर दृष्टि को पवित्र कर देता है। 
 
राधा, 
आप कृष्ण की आल्हादिनी शक्ति हो, 
उनके स्वर में छिपी मधुरता, 
उनकी बाँसुरी की गूँज, 
उनके नयनों की छवि, 
उनकी लीला का प्राण। 
 
कृष्ण के बिना राधा अधूरी, 
और राधा के बिना कृष्ण मौन। 
आप दोनों का मिलन ही प्रेम का
परम रहस्य है
जहाँ प्रेमी और प्रेयसी
स्वयं को भूलकर
प्रेम ही बन जाते हैं। 
 
हे राधा! 
आपकी कृपा दृष्टि मात्र से
अज्ञानी ज्ञानी बन जाता है, 
सूखा हृदय सरस हो जाता है, 
और अधीर आत्मा को
संतोष की छाँव मिल जाती है। 
 
आपका कृपा कटाक्ष
साधना का सबसे दुर्लभ फल हैं। 
जो तुम्हारी ओर एक क्षण देख ले, 
या आप जिस पर करुणा दृष्टि डाल दें
वह जीवन भर
तृषित नहीं रहता। 
 
आज के समय में
जब प्रेम बाज़ार में बिक रहा है, 
और रिश्ते मुखौटों के नीचे
साँसें ले रहे हैं
राधा! आपकी प्रासंगिकता
पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। 
आप याद दिलाती हो
कि प्रेम का अर्थ स्वामित्व नहीं, 
बल्कि समर्पण है। 
प्रेम का अर्थ माँगना नहीं, 
बल्कि देना है। 
प्रेम का अर्थ शरीर नहीं, 
बल्कि आत्मा का मिलन है। 
 
आपका नाम जपना
केवल एक आस्था नहीं, 
बल्कि चेतना का उद्घाटन है। 
“राधे राधे” कहते ही
जैसे हृदय पर जमी धूल झर जाती है, 
मन निर्मल हो जाता है, 
और भीतर से कोई
अनसुना संगीत बजने लगता है। 
 
आज राधा अष्टमी है
व्रज में दीपक जलते हैं, 
गली-गली में फूल बिखरते हैं, 
मंदिरों में शंख बजते हैं, 
और स्त्रियाँ उपवास रखकर
आपको अपनी आराध्य सखी मानकर
आरती करती हैं। 
आपके अवतरण दिवस पर
कदंब की छाया हरी होती है, 
यमुना के तट पर भक्ति उमड़ पड़ती है, 
हर घर से आपका नाम का संकीर्तन
आकाश को गुंजित करता है। 
 
यह दिन केवल पर्व नहीं, 
भक्ति की पूर्णिमा है। 
यह दिन केवल स्मृति नहीं, 
प्रेम की पराकाष्ठा का उत्सव है। 
 
हे राधा! 
आपका नाम ही मंत्र है, 
आपकी करुणा ही साधना है, 
आपका प्रेम ही मुक्ति है। 
 
आज राधा अष्टमी पर
मैं यही प्रार्थना करता हूँ
कि हर हृदय में
आपकी मधुरता जागे, 
हर रिश्ते में
आपका निष्कलंक प्रेम बहे, 
हर आत्मा
आपके जप से प्रकाशित हो। 
 
राधे-राधे
आपके बिना
यह सृष्टि अधूरी है, 
और आपका साथ
हर जीवन पूर्ण। 

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