कुण्डलिया – कोशिश

01-01-2022

कुण्डलिया – कोशिश

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 196, जनवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

मेरी कोशिश है यही, रुके न पग हर हाल।
छाया हो या धूप हो, श्रम सीकर हों भाल।
 
श्रम सीकर हों भाल, निरंतर चलते रहना।
कर्तव्यों की राह, कर्म का पहने गहना।
 
चलते चलो सुशील, रात घनघोर अँधेरी।
मन में है विश्वास, सफलता होगी मेरी।

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