कुण्डलियाँ स्वतंत्रता दिवस पर

15-08-2022

कुण्डलियाँ स्वतंत्रता दिवस पर

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 211, अगस्त द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

1.
रोटी महँगी हो गई, त्रस्त बहुत हैं लोग। 
आज़ादी के पर्व पर, महँगाई का जोग। 
महँगाई का जोग, कुपित गण दूर खड़ा है। 
पिचका-पिचका पेट, भूख से ख़ूब लड़ा है। 
तंत्र हुआ स्वछंद, नोचता बोटी-बोटी। 
भारत है आज़ाद, क़ैद में है पर रोटी। 
2.
आज़ादी हम को मिली, शुभ पचहत्तर वर्ष। 
नव विकास पथ हम चले, जन गण मन उत्कर्ष। 
जन गण मन उत्कर्ष, तिरंगा है लहराता। 
एक मेव आवाज़, जयति जय भारत माता। 
संकल्पों की आन, सभी सीना फौलादी। 
नूतन नवल विमर्श, अमिट अविरल आज़ादी। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

काव्य नाटक
कविता
गीत-नवगीत
दोहे
लघुकथा
कविता - हाइकु
नाटक
कविता-मुक्तक
वृत्तांत
हाइबुन
पुस्तक समीक्षा
चिन्तन
कविता - क्षणिका
हास्य-व्यंग्य कविता
गीतिका
सामाजिक आलेख
बाल साहित्य कविता
अनूदित कविता
साहित्यिक आलेख
किशोर साहित्य कविता
कहानी
एकांकी
स्मृति लेख
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
ग़ज़ल
बाल साहित्य लघुकथा
व्यक्ति चित्र
सिनेमा और साहित्य
किशोर साहित्य नाटक
ललित निबन्ध
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में