लोरी

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 183, जून द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

सुन री ओ निंदिया
आ जा धीरे चुपके अँखियन
मेरे लाल को नींद सुला जा री
 
ओ री पवन
मैं तो जाऊँ पनिया भरन को
मेरे लाल को झूला झुला जा री।
 
ओ री कली  
मैं तो जाऊँ नदिया नहाने
मेरे लाल का बिस्तर बिछा जा री।
 
सुन ओ सखी
मैं तो बनाऊँ राज रसोई
मेरे लाल को लोरी सुना जा री
 
सुन लोरी चिड़िया
मैं तो चली घर को बुहारन
मेरे लाल को गीत सुना जा री

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