मन गीत

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 172, जनवरी प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

चलो लिखें मन गीत सुहाना
तेरी मेरी बातों का।
कुछ सपनों की बात लिखें हम।
कुछ क़िस्सा बरसातों का।
 
पहली बार मिले थे जब हम
वो लम्हें हों गीतों में।
मन के जो अनुबंध लिखे थे
वो गाना संगीतों में।
वो अकुलाहट वो प्रेमाहट
वो अभिसारी मिलन लिखो।
पीली धूप चाँदनी कुहरा
विरह वेदना जलन लिखो।
 
कुछ अपनों के क़िस्से लिखना।
कुछ वर्णन हों घातों का।
 
शब्दसुमन हों प्रणय प्रवाहित
अर्थ विरह में डूबें हों।
कुछ कमियाँ मेरी भी लिखना
कुछ तेरे मंसूबें हों।
सतत निमग्न प्रेम आवाहित
मिलन विरह आबंध हों।
विरही क्षण की व्याकुलता हो
या जीवन प्रतिबन्ध हो।
 
कुछ जीतों की बातें लिखना
कुछ क़िस्सा हो मातों का।
 
सतरंगी सपने सब छूटे
मनमतंग मधुकोष धरे।
उत्फुल रंगों सी वो सूरत
मन में तेरी याद भरे।
कितने पल कितने ही लम्हें
यादों में बस बीत गए।
हर पल जीवन को मैं हारा
सारे रिश्ते जीत गए।
 
कुछ बातें विश्वासों की हों
कुछ विवरण आघातों का।

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