हिंदी पर दोहे

15-09-2025

हिंदी पर दोहे

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 284, सितम्बर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

1.
हिंदी स्वर मन दीप है, संस्कृति की पहचान। 
प्राण वायु यह देश की, हिंदी मन मुस्कान। 
2.
हिंदी के हर बोल में, रिश्तों के अहसास। 
एक सूत्र में बाँधती, हिंदी है कुछ ख़ास। 
3.
प्रेमचंद का मान है, तुलसी का सम्मान। 
हिंदी में ही है बसी, भारतेंदु की जान। 
4.
कबिरा तुलसी सुर सब, हिंदी के आधार। 
हिंदी से रोशन हुए, गद्य, पद्य संसार। 
5.
त्योहारों की रागिनी, हिंदी मनस मिठास। 
हिंदी में शामिल रहे, जीवन की हर आस। 
6.
सात समंदर पार भी, गूँजे हिंदी तान। 
सभी प्रवासी हैं बने, हिंदी की पहचान। 
7.
ज्ञान और विज्ञान की, हिंदी भाषा आज। 
तकनीकी भाषा बनी, जन जन की आवाज़। 
8.
अंग्रेज़ी के राज में, खड़ी है सीना तान। 
हिंदी आगे ही रहे, बन कर भव्य वितान। 
9.
हिंदी ईश विचार है, हिंदी दिव्य महान। 
संस्कृति की रक्षा करे, हिंदी सभ्य सुजान। 
10.
हिंदी जीवन गीत है, हिंदी आत्म पुकार। 
हिंदी गगन सदृष्य है, भाषा भाष्य विचार। 
11.
हिंदी मन की डोर है, हिंदी गौरव गान। 
हिंदी सिर माथे बँधा, भारत का सम्मान। 

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