पत्ते से बिछे लोग

01-02-2023

पत्ते से बिछे लोग

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 222, फरवरी प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

साथ लिए क्षुद्रता। 
छोड़ी सब भद्रता। 
जात-जात कर रहे
माँग रहे क़द्रता। 
 
हैं चुनाव आसपास। 
जगी-जगी मन की आस। 
रामचरित मानस पर
बोल रहे ख़ास-ख़ास। 
 
शूद्र-शूद्र कर रहे। 
मनस मैल झर रहे। 
गूगल के अर्थ बोल
कपट बैर धर रहे। 
 
भारत को तोड़ रहे। 
घातों को जोड़ रहे। 
विष वमन कर कर के
जन मानस मोड़ रहे॥
 
तुलसी रैदास एक। 
सबके हैं वचन नेक। 
मानवता धर्म हो
हर मन में हो विवेक। 
 
आँचल में छुपे लोग। 
ख़ुद से ही डरे लोग। 
उँगलियाँ उठाते हैं
पत्ते से बिछे लोग। 

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