मौन गीत फागुन के

01-04-2023

मौन गीत फागुन के

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 226, अप्रैल प्रथम, 2023 में प्रकाशित)


नवगीत

बासंती धूप खिली
खुले खुले आँगन में
 
मलयज के संग-संग
अलसाया फागुन है। 
मधुर मधुर रागनी सा
अलियों का गुंजन है। 
 
मौन गीत गाता मन
खो कर उस चितवन में। 
 
यौवन के महके क्षण
कविता से लगते हैं। 
रात रात यादों में
सपने क्यों जगते हैं। 
 
फागुन की मस्ती है
सपनों के मधुवन में
 
टेसू के लाल फूल
महुआ की मोह गंध। 
व्याकुल से प्राण हुए
लिखे मन नेह निबंध। 
 
मलयानिल रंग भरे
फगुनाए जीवन में। 

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