कुण्डलिया - डॉ. सुशील कुमार शर्मा - विद्या, शिक्षक

01-02-2022

कुण्डलिया - डॉ. सुशील कुमार शर्मा - विद्या, शिक्षक

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 198, फरवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

1. 
विद्या

 
सुरभित विद्या से सदा, हृदय कमल अभिराम
विद्या धन अविचल रहे, उज्ज्वल हो शुभ नाम। 
उज्ज्वल हो शुभ नाम, सुशोभित हर पल ज्ञानी। 
कर्म धर्म हों शुद्ध, विद्वता बहता पानी। 
सुधा-सुयश शुभ शील, विनय विद्या से विकसित। 
मिले मान सम्मान, रहे जीवन धन सुरभित। 
 
2.
शिक्षक

 
अँधियारे को दूर कर, भरते ज्ञान प्रकाश। 
शिक्षा से सिंचित करें, गढ़ते मन आकाश। 
गढ़ते मन आकाश, सभ्य व्यक्तित्व बनाते। 
मिटते सब संदेह, ज्ञान गुरु से जब पाते। 
उनको नमन सुशील, मार्गदर्शक वो न्यारे। 
शिक्षक हैं वो दीप, मिटाते मन अँधियारे। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

सामाजिक आलेख
गीत-नवगीत
दोहे
काव्य नाटक
कविता
लघुकथा
कविता - हाइकु
नाटक
कविता-मुक्तक
यात्रा वृत्तांत
हाइबुन
पुस्तक समीक्षा
चिन्तन
कविता - क्षणिका
हास्य-व्यंग्य कविता
गीतिका
बाल साहित्य कविता
अनूदित कविता
साहित्यिक आलेख
किशोर साहित्य कविता
कहानी
एकांकी
स्मृति लेख
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
ग़ज़ल
बाल साहित्य लघुकथा
व्यक्ति चित्र
सिनेमा और साहित्य
किशोर साहित्य नाटक
ललित निबन्ध
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में