आत्मा का संगीत

15-08-2025

आत्मा का संगीत

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 282, अगस्त प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

(मित्रता दिवस पर कविता) 
 
मित्रता
कोई समझौता नहीं, 
कोई सौदा नहीं, 
बल्कि आत्मा का वह संगीत है
जो बिना बोले भी सुना जा सकता है। 
 
जब दुनिया से विश्वास डगमगाने लगता है, 
एक मित्र
कंधे पर हाथ रखकर
कह देता है
“मैं हूँ, 
चाहे सब चले जाएँ।” 
 
मित्रता वह दीपक है
जो अँधेरों में
मार्ग दिखाता है
बिना पूछे, 
बिना थकान के। 
 
यह रिश्ता
रक्त से नहीं जुड़ा होता, 
पर हृदय की गहराइयों में
जड़ें फैलाए रहता है, 
जहाँ स्वार्थ का कोई बीज
अंकुरित नहीं हो सकता। 
 
मित्रता
कोई सौदा नहीं, 
जहाँ अपेक्षाएँ तोली जाएँ
और निराशाएँ गिनी जाएँ। 
 
यह तो एक निःशब्द प्रतिज्ञा है 
मैं तेरी परवाह करूँगा
बिना गिनती किए
कि तूने कितनी बार मेरी परवाह की। 
 
यह वह रिश्ता है
जो माँ की ममता सा कोमल है, 
पिता की छाँव सा स्थिर है, 
भाई की ढाल सा सुरक्षित है, 
बहन की फ़िक्र सा प्यारा है, 
साथी के स्पर्श सा गहरा है। 
 
मित्रता में शिकायतें नहीं होतीं, 
सिर्फ़ देखभाल होती है। 
जब तू बीमार हो, 
मैं दवा नहीं, 
अपना विश्वास लाऊँगा। 
जब तू उदास हो, 
मैं शब्द नहीं, 
अपनी ख़ामोशी बाँट दूँगा। 
 
यह रिश्ता हर सीमा को लाँघता है, 
रक्त, धर्म, दूरी, उम्र 
कुछ भी आड़े नहीं आता। 
 
मित्रता का असली चेहरा
वह मुस्कान है
जो आँसुओं को छिपा लेती है। 
वह कंधा है
जो भारी मन को सहारा देता है। 
वह हाथ है
जो अँधेरी राह में थाम लेता है
बिना कुछ कहे। 
 
मित्रता
अपेक्षाओं का नाम नहीं, 
यह देखभाल की
एक शाश्वत छाया है। 
जहाँ हर रिश्ता
अपनी गहराई पाता है
और हर आत्मा
अपनी सच्ची पहचान। 
 
मित्र वही
जो आपकी हँसी में शामिल हो, 
पर आपके आँसुओं में
आपसे पहले भीग जाए। 
 
वह आपको याद दिलाता है
कि आप अकेले नहीं हैं, 
कि आपकी ख़ामोशी भी
उसके लिए शब्दों से अधिक बोलती है। 
 
जीवन की कठिन राहों पर
मित्रता
एक हरी छाया है, 
जहाँ थके हुए यात्री को
थोड़ी देर आराम मिलता है। 
 
कभी सलाह के रूप में, 
कभी मौन की शक्ति बनकर, 
कभी बस
उपस्थिति की गर्माहट से
यह रिश्ता कह देता है
“मैं तेरे साथ हूँ।” 
 
मित्रता दिवस
सिर्फ़ एक उत्सव नहीं, 
यह याद दिलाने का दिन है
कि प्रेम
सिर्फ़ रिश्तों में नहीं, 
सच्ची संगति में भी पनपता है। 
 
आओ, 
आज के दिन हम उन मित्रों को याद करें
जिन्होंने हमें थामे रखा
जब हम बिखरने लगे, 
जिन्होंने हमारी कमज़ोरी में
हमारी ताक़त खोज ली। 
 
और हम भी वचन दें
कि हम रहेंगे उनके लिए, 
जैसे वे रहे हमारे लिए। 
 
मित्रता
एक उजली छाया, 
जो समय की आँधियों में भी
कभी मुरझाती नहीं। 

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