शिव वंदना

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 186, अगस्त प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

1.
शिव है अन्तःशक्ति मन, शिव तन मन संयोग।
शिव को जो जपता रहे, सहे न कभी वियोग।
शिव सद्‌गुण विकसित करें, जाग्रत मन मस्तिष्क।
शिव की पूजन से बने जीवन सुखद सुयोग।
2.
आत्मज्ञान और मुक्ति का, शिव हैं आत्म स्वरूप।
शिव समान दाता नहीं, भक्ति भोग अनुरूप।
शिव के बिन तन शव रहे, मिले न मुक्ति मार्ग।
शिव देवों के देव हैं, शिवम शक्ति प्रतिरूप।
3.
शिव अभिषेक अमोघ है, हरता दुर्धर पाप।
शिव पूजन मन से हरे, कोटि जन्म संताप।
पुण्य संपदा और धन, शिव वंदन परिणाम।
बिल्वपत्र हरता सदा, दैहिक दैविक ताप।
4.
आदि गुरु शिव रूप हैं, शिव हैं मूलाधार।
मन वांछित पूरित करें, शिव की शक्ति अपार।
शिव आत्मा के ईश हैं, शिव ऊर्जा के मूल।
सत्य परात्परम ब्रह्म हैं, शिव हैं जगताधार।
5.
श्रावण के इस माह में, शिव का है आधान।
सोमवार का व्रत रखो, शिव को अपना मान।
श्रावण में अभिषेक से, मिलते पुण्य हज़ार।
जीवन को प्रगति मिले, मिलता सुख सम्मान।

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