ठण्ड

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 147, जनवरी प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

कुण्डलिया

 

ठंडा मौसम दे रहा, प्रीत निमंत्रण आज।
घुसो रज़ाई में सभी, छोड़ हाथ के काज।
छोड़ हाथ के काज, खड़ी क्यों हाथ सिकोड़े।
गरम जलेबी संग, तलो तुम आज पकोड़े।
सूरज हुआ निढाल, जलाओ लकड़ी कंडा।
बाँचो पाती नेह, आज मौसम है ठंडा।

 

सूरज मामा सो गए, ओढ़ रज़ाई आज।
पंछी भी इस ठण्ड में, भूल गए परवाज़।
भूल गए परवाज़, कोहरा जाल बिछाये।
मौसम की ये मार, धूप अब नज़र न आये।
बंद हुए असनान, छुपे सब दारा गामा।
तन में है भूचाल, कहाँ हो सूरज मामा।

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