लौकी और कद्दू की लड़ाई

01-10-2019

लौकी और कद्दू की लड़ाई

डॉ. सुशील कुमार शर्मा

कद्दू से लौकी भिड़ बैठी
ख़ूब मची लड़ाई है।

 
ऊबड़ खाबड़ से तुम लगते
तुम मोटे से भद्दू राम।
तुम्हें देख कर मुँह बिचकाएँ
नाम तुम्हारा कद्दूराम।
पेट तुम्हारा थुल थुल देखो
गर्दन कितनी छोटी है।
ठुमक ठुमक कर तुम चलते हो
पीठ तुम्हारी मोटी है।
 
सब्ज़ी नहीं तुम्हारी अच्छी
तुम में न चतुराई है।

 

ओ लौकी तुम दुबली पतली
मुझसे पंगा मत लेना।
जैसा भी हूँ तुमसे अच्छा
क्या तुमसे लेना देना।
लूली लंगड़ी लम्बी पतरुल
मुझसे न यूँ घात करो।
सब सब्ज़ी से नीचे हो तुम
ज़्यादा न तुम बात करो।

 

सूरत देख कर बच्चे रोते
तुम में कौन बड़ाई है?

 

आलू दादा बीच में बोले
तुम दोनों हो सबसे सच्चे ।
दोनों औषधि के गुण वाले
दोनों वैद्यराज के बच्चे।
अवगुण नहीं किसी के देखो
गुण का तुम सम्मान करो।
दूजे को कमतर दिखला कर
मत इतना अभिमान करो।

 

स्वास्थ्य के वर्धक हो तुम दोनों
दोनों में अच्छाई है।

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