(रक्षाबंधन पर गीत)
अबके बरस मैं कैसे आऊँ
बाबुल का घर कैसे पाऊँ।
कुमकुम केसर सजी है थाली।
सुंदर राखी फुंदों वाली।
द्वार पे बैठी है तेरी बहना।
याद में तेरी बहते नैना।
कैसे मन को मैं समझाऊँ।
अबके बरस मैं कैसे आऊँ।
कोरोना ने रिश्ते तोड़े।
कहो कौन अब इनको जोड़े।
बंद शहर हर घर पर पहरे।
सूनी गलियाँ मन सब सहरे।
मन करता बस दौड़ी जाऊँ।
अबके बरस मैं कैसे आऊँ।
तुम हो मेरे प्यारे भैया।
माँ पापा की नाव खिवैया।
भेज रही हूँ राखी पावन।
आऊँगी मैं अगले सावन।
हर सुख तेरे सिर बँधवाऊँ
अबके बरस मैं कैसे आऊँ।