रक्षाबंधन पर दोहे

01-09-2024

रक्षाबंधन पर दोहे

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 260, सितम्बर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

राखी तिलक मिठाई ले, बहना आई द्वार। 
सजी कलाई भ्रात की, बहना का आभार। 
 
बचपन की अठखेलियाँ, नेह भरी तकरार। 
जब से तुम बहना गयीं, सूना है संसार। 
 
कच्चे धागों में बँधा, रिश्तों का संसार। 
निर्मल, स्वारथ से रहित, भ्रात बहिन का प्यार। 
 
भैया बस उपहार में, चाहूँ तेरा साथ। 
सुख-दुख में भैया रहे, सिर पर तेरा हाथ। 
 
सुख-दुख में बहिना सदा, रहूँ तुम्हारे संग। 
दामन में तेरे भरूँ, नित ख़ुशियों के रंग। 
 
भ्रात बहिन का प्रेम है, रिश्तों का वरदान। 
निश्छल अनुपम नेह का, यह पावन अनुदान। 
 
रेशम का धागा बँधा, सुंदर तिलक ललाट। 
बहिन नेह का दीप ले, जोहे भाई बाट। 
 
रक्षाबंधन पावनी, नेह नियम का पर्व। 
निर्मल रिश्तों पर करें, बहिना भाई गर्व। 

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