बेटी घर की बगिया

15-10-2020

बेटी घर की बगिया

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 167, अक्टूबर द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

माँ के लिए पुत्र सम पुत्री
दोनों होते हृदय गुमान।
एक हृदय का टुकड़ा होता
दूजा जीवन की पहचान।
 
बेटा घर का वारिस होता
बेटी घर की ज्योति है।
बेटा सोने की क़ीमत का
बेटी हीरा मोती है।
 
बेटी घर की बगिया होती
बेटा मन का है आधान।
एक हृदय का टुकड़ा होता
दूजा जीवन की पहचान।
  
बेटी पावस की हरियाली
बेटा सावन की बरसात।
बेटी माँ की राजदुलारी
बेटा जीवन की सौगात।
 
बेटी दूर गगन का तारा
बेटा घर का दीपक मान
एक हृदय का टुकड़ा होता
दूजा जीवन की पहचान।
 
माँ के लिए पुत्र जीवन है
बेटी जीवन साँस है।
बेटा है भविष्य की आशा
बेटी मन की आस है।
 
बेटा संस्कार से शोभित
बेटी कुल की होती मान।
एक हृदय का टुकड़ा होता
दूजा जीवन की पहचान।
 
बेटा जीवन अविरल धुन है
बेटी है जीवन संगीत।
बेटा परम भाग्य से होते
बेटी देवों का है गीत।
 
दोनों कुलों को बेटी तारे
बेटा होता वंश गुमान।
एक हृदय का टुकड़ा होता
दूजा जीवन की पहचान।
 
बेटी के दो दो घर होते
बेटा उसका रक्षक है।
माँ की दी सारी शिक्षाएँ
दोनों की संरक्षक हैं।
 
माँ के लिए सुता दिल धड़कन
सुत जीवन का अभिमान।
एक हृदय का टुकड़ा होता
दूजा जीवन की पहचान।

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