यूक्रेन युद्ध

01-03-2022

यूक्रेन युद्ध

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 200, मार्च प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

अंतहीन जलने की पीड़ा
कोई कैसे भूले। 
 
तोप तमंचे लिए खड़ा है
आतंकी ये कैसा। 
यूक्रेनी छोटा सा बच्चा
है गुलाब के जैसा। 
सीने पर बंदूक रखे ये
कहता तुम मर जाओ। 
मेरे ही अधीन रहो तुम
मुझसे तुम डर जाओ। 
 
चारों ओर डलें है उनके
देखो मौत के झूले। 
 
नहीं डरूँगा नहीं झुकूँगा
जब बच्चा चिल्लाया। 
आतंकी आक़ा ने चिढ़ कर
बच्चे को हड़काया। 
कातर दृष्टि से वो देखे
कोई नहीं है साथी। 
बिल में देखो छुपे हुए है
सभी काठ के हाथी। 
 
उजियारे क़ैदी बन अंदर
अँधियारे हैं फूले। 
 
गीदड़ भभकी देकर देखो
छुपा हुआ है शेरा। 
यूक्रेनी बच्चे को देखो
चारोंं तरफ़ से घेरा। 
संगीनों के साए में हैं
जीवन की अब साँसें। 
विस्फोटों के ऊपर लटकीं
कूटनीति की फ़ाँसें। 
 
महाशक्तिशाली देशों के
सपने लँगड़े लूले। 

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