कृष्ण मुझे अपना लो

01-09-2024

कृष्ण मुझे अपना लो

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 260, सितम्बर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)


(गीत)
 
मोर मुकुट पीतम्बर धारी
तुम ब्रज के हो रसिया। 
नन्द जसोदा के तुम लाला
तुम सबके मन बसिया। 
बिना तुम्हारे इस दुनिया में
कोई नहीं सहारो। 
मूढ़मति सब तुमने तारे
अब मुझको भी तारो। 
कोई नहीं मेरा इस जग में
कृष्ण मुझे अपना लो। 
 
सब दीनों के तुम रखवाले
सबके पालन हारी। 
मैं दीनों का दीन चरण में
अब तो सुनो बिहारी। 
लाख बुराई मेरे अंदर
पर तुमको है पूजा। 
मात्र एक ही तुम सच्चे हो
और नहीं है दूजा। 
इस भव सागर के भँवरों से
प्रभु जी मुझे निकालो। 
 
मद से भरा हृदय है मेरा
कटु वाणी मन कपटी। 
स्वार्थ सरोवर में मन डूबा
अवगुण बुद्धि लिपटी। 
बीती उमर ज्ञान नहीं पाया
भव चक्कर में उलझा। 
नहीं रास्ता है अब कोई
तू ही अब सब सुलझा। 
दुःख भरे निर्मम काँटों से
माधव मुझे बचा लो। 

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