ये चाँद

15-07-2021

ये चाँद

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 185, जुलाई द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

ये जो चाँद है
तुमसे जलता है
इसलिए चुपचाप
रात को निकलता है।
 
ये चाँद
देख कर तुम्हें
हाथ मलता है
और चुपचाप
छत पर टहलता है।
 
ये चाँद
हर दिन देखता है
तुम्हें
फिर रात भर
पिघलता है।
 
ये चाँद
तुम्हें पाने के लिए
दिन में सोता है
और
रात भर चलता है।

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