शहर चला थक कर कोई

01-12-2024

शहर चला थक कर कोई

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 266, दिसंबर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

शहर चला थक कर कोई, 
गाँव को पीछे छोड़ कर। 
अपने सपने पूरे करने, 
अपनों के सपने तोड़ कर। 
 
भीगी भीगी रुत में, 
वियोग की पीड़ा सहकर, 
श्याम की मूरत निहार रही, 
सजनी कर जोड़ कर। 
 
फ़सलें इस बार लहरा रही–
सुनते हो–बालियों की ध्वनि, 
पवन के संग झूम रही, 
पिय परदेस बैठे
मुख मोड़ कर। 

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