बूँद

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 259, अगस्त द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

तिलमिला गया हूँ, 
तुम से दूर रहकर। 
समन्दर हो गया हूँ, 
सागर में गिरकर। 
 
क्या मूल्य अरण्य आँसू का, 
माँ सा कौन विह्वल जो खाँसूँगा। 
पिय के अतिरिक्त, 
कौन हृदय लगाए, 
रोऊँ निराशा से घिरकर। 
 
शशि की भाँति एकाकी, 
बूँद पलकों से झाँकी। 
श्वास ही जीवन, 
और कैसे नापना जीवन। 
देखूँ क्योंकर वृत्ति स्थिर कर। 

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