अब इस पेड़ की बारी है

01-07-2024

अब इस पेड़ की बारी है

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 256, जुलाई प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

अब इस पेड़ की बारी है, 
यह ज़मीन सरकारी है। 
 
क़हक़हे फल फूलों के, 
पर अब मुरझाना तारी है। 
 
साँस देने का हुनर, 
किस पर उधारी है। 
 
मकान ख़ाली करना होगा, 
प्रशासनिक फ़रमान जारी है। 
 
दूर तक पेड़ दिखता नहीं, 
यह जगह सड़क ने उजाड़ी है। 
 
आसमान तक ऊँची सड़क, 
बस बात विकास की सारी है। 
 
मॉल बनेंगे और कबूतर खाने, 
बातों में वज़न भारी है। 
 
अब इस पेड़ की बारी है, 
यह ज़मीन सरकारी है। 

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