किसान की गत
हेमन्त कुमार शर्मा
सूखा पड़ा,
किसान दुविधाग्रस्त,
जल का प्रबन्ध,
कैसे होगा? अब और?
विगत में कष्ट कितना भोगा।
हल नेता क्या निकालेंगे।
हल खेती पे इनका चलता नहीं,
लोहा आँसू से क्या गलता कहीं।
और वे झंझट क्यों लें,
अगुआ है सुविधापरस्त।
अब पानी लबालब,
नदी छोड़ खेतों में आ पहुँचा।
इसको कैसे सुखाएँ,
फ़सल कैसे बचाएँ।
तारागण कब के लोप,
बादलों का चहुँ ओर कोप।
खेतों को तो क्या,
आँखों तक को आ सींचा।
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