हैरते ग़म बढ़ा दीजिए

15-09-2025

हैरते ग़म बढ़ा दीजिए

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 284, सितम्बर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

हैरते ग़म बढ़ा दीजिए, 
दिल को उनका पता दीजिए। 
 
आँसू आँखों के आँखों में रख, 
दिल देने की ख़ुद को सजा दीजिए। 
 
कितने एहसान हैं अपनों के, 
वह कहें कि अता कीजिए। 
 
पूछते हो ग़म की वजह, 
मौन रह कर बता दीजिए। 
 
आहटें सब तुम्हारी लगें, 
कभी आने का पता दीजिए। 

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