कहते कहते चुप हो गया

01-12-2023

कहते कहते चुप हो गया

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 242, दिसंबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

कहते कहते चुप हो गया, 
स्वयं को सोच, 
विगत को नोंच, 
आगत का बोझ, 
आँखों से सब रो गया। 
 
उनसे आगे, 
किस से भागे, 
क्षण थे कब से
अभागे। 
जीवन को जैसे तैसे ढो गया। 
 
भरे नयनों से, 
दिखाते आइनो से, 
रहे सहे तानों से। 
भीड़ में भीड़ सा खो गया। 
 
दो क़दमों की बात थी, 
कुछ पलकों की रात थी, 
चाहे कितनी मात थी। 
मंज़िल के समीप क्यों, 
उत्साह सो गया। 

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