बहुत कम बदलते हैं 

01-08-2024

बहुत कम बदलते हैं 

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 258, अगस्त प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

सभी तरह के उपाय करके देखे हैं, 
बहुत कम बदलते हैं माथे के लेखें हैं। 
 
शब्द कम हो जाते हैं फिर मौन ठहरता, 
सच यों ही पड़ा रहता है झूठे चलते देखे हैं। 
 
सरमायेदारों की तिजोरी है लूट सकता है क्या कोई, 
यहाँ तो चोर भी सफ़ेदपोशों में बदलते देखे हैं। 
 
क्षमा मिल जाएगी अगर चंदा चढ़ाओगे, 
यह नए दौर के भगवान है पैसों में बिकते देखे हैं। 
 
कोई नहीं उसके सिरहाने फिर कोई पागल हुआ, 
सच बोलता है गाहे-बगाहे, ऐसे विजनता में मरते देखे हैं। 
 
क्या किसी उम्र में शऊर आएगा जीने का, 
सच श्मशान पहुँचता है अगर, झूठे भी मरते देखें हैं। 

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