जीवन में

15-09-2023

जीवन में

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 237, सितम्बर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)


जीवन में कुछ भी खिलता नहीं, 
कोई तो हो मित्र जो छलता नहीं। 
 
औने-पौने दाम बाक़ी ईमान के, 
ऊँचे हैं सिर बस बेईमान के। 
हार गये तन मन, 
अब ये भी खलता नहीं। 
 
रहे सही होश जो थे बाक़ी, 
उड़ गए तेरी बेरुख़ी से साक़ी। 
बिन बाती के, 
कहूँ क्या दीया बलता नहीं। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
कहानी
लघुकथा
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
नज़्म
सांस्कृतिक कथा
चिन्तन
ललित निबन्ध
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में