इस प्रेम मार्ग की बात न पूछ

15-01-2025

इस प्रेम मार्ग की बात न पूछ

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 269, जनवरी द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

उसने कहा मेरे अकेले के पैसे थे
मैंने कहा पर चोर तो हम सारे थे, 
 
इस प्रेम मार्ग की बात न पूछ, 
दिल के साथ दिमाग़ भी हारे थे। 
 
रोना सिखाया उन आँखों को, 
वह दूर देश के बादल कारे थे। 
 
जिस पर शर्त लगाई थी हमने, 
वह सब निकलते टूटते तारे थे। 
 
मुट्ठी में भींच लिया लकीरों को, 
हम बरसों से क़िस्मत के मारे थे। 
 
जीवन की उलझन से परेशान हो, 
वह गालियाँ देते डूबते जो तारे थे। 

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