कार्य युद्ध स्तर पर
हेमन्त कुमार शर्मा
एक मज़दूर बेलचा हाथ में लिए खड्डेनुमा सड़क पर काम करते हुए पाया गया। ठेकेदार की इस द्रुत गति से कार्य करवाने की क्षमता आसपास के निवासी और आवाजाही करने वाले लोगों में आश्चर्य का विषय बनी हुई थी। डेढ़-दो मील की लिंक रोड थी। बरसात भी लगभग आ चुकी थी। सड़क के किनारे खड़े एक व्यक्ति ने बड़े सुस्त भाव से अन्य पैदल पथ यात्री से कहा, “शायद सरकार इसमें धान बोना चाहती है या मछली पालन का कोई विचार है। इतने बड़े गड्ढों में बरसात का पानी इकट्ठा होना। लगता है यही गुप्त प्लान है।”
“नहीं, नहीं यह रोड जानबूझकर धीमी गति से बनाया जा रही है। कोई इस रास्ते से नशे आदि की तस्करी ना कर पाए। गाड़ी ले जाने पर घबराए। कपड़ों पर दाग़ न लग जाए। चाहे ज़मीर कीचड़ से सराबोर हो!” जवाब दिया।
“अरे, तुम कोरी बकवास करते हो। तेज़ रफ़्तार से गाड़ी ना चले। दुर्घटना ना हो। इस कारण से यह व्यवस्था कार्य में आई है.” तीसरे ने यह बात जोड़ी।
“मूर्ख हो तुम। यह प्रशासन सामान्य नागरिकों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक है। किडनी, पीत्ते किसी की भी पथरी। कुछ चक्कर, कुछ झटकों में बाहर। डिलीवरी का बड़ा ऑपरेशन डॉक्टर ने कहा। आधे चक्कर में ही नॉर्मल डिलीवरी। असल में यह रोड स्वास्थ्य देने वाली है। समूल स्वास्थ्यवर्द्धक!” चौथे ने फ़रमाया।
इसी प्रकार के तीव्र गति के कार्य से परेशान होकर ऊपर बैठे प्रशासकों ने विचार किया कि सड़क बुद्धिजीवी स्तर पर बनानी चाहिए। क्षेत्र के जितने भी बुद्धिजीवी, इंटेलेक्चुअल थे सब को पत्र द्वारा सूचित किया गया कि वह इस निर्माण में भाग लें। देश की उन्नति उनके करकमलों से ही संपन्न होगी। इस तरह के भावुक शब्दों से उन्हें मीटिंग में बुलावा भेजा गया।
वे सब मोटी चमड़ी के थे।
प्रथम द्रष्टा कोई आया ही नहीं। बुद्धिजीवी जो ठहरे। मन मस्तिष्क में आए विचारों को वाणी या लिखने में लाने में वर्षों लग जाते हैं फिर इतनी जल्दी कोई निर्णय पर पहुँचे? कैसे? और वह इस प्रकार के प्राणी होते हैं जिन्हें आलस देवता प्रिय पुत्रवत मानता है। कोई जवाब ना पाकर और जब मीटिंग में कोई ना आया; दूसरी बार पत्र द्वारा उन्हें यह सूचित किया गया कि साथ में नाश्ता और लंच भी प्रदान किया जाएगा। काव्य कहानी लिखने वाले कृतिकार बुद्धिजीवी सुबह छह बजे निर्धारित मीटिंग स्थल पर पहुँच गए। अन्न का अनादर वह कर नहीं सकते थे।
सारा दिन विचार-विमर्श हुआ और लंच के बाद हल निकला। एक और मज़दूर को काम पर लगाया जाएगा जिससे तेज़ गति से कार्य हो और जनता में यह सूचना नया मज़दूर स्वयं पहुँचा देगा कि ‘कार्य युद्ध स्तर पर जारी है’।
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