एरिया
हेमन्त कुमार शर्मा
“रूस के टैंकों पर हमला होगा। बहुत भयंकर,” यूक्रेनी सैनिक ने कहा।
“हाँ, हाँ छोड़ेंगे नहीं।”
“जीतेंगे, जीतेंगे!” पीछे से आवाज़ें उत्साह और जोश से सराबोर थीं।
फिर एक अन्य सैनिक भड़का और लगभग चिल्लाते हुए संबोधन देने लगा, “हमें ‘मित्र देश’ सहायता दे रहा है। युरेनियम युक्त बम, उड़ा देंगे।”
टैंक पर हमला, अन्य वाहनों पर हमला—परन्तु क्षेत्र किसका है, यूक्रेन का। वहाँ के निवासी यूक्रेनी। बम कहाँ फूटेगा, युक्रेन में। रेडियेशन कैन्सर जनक है। सैनिक भी, निवासी भी सब वहीं श्वास लेंगे। प्रभावित कौन होगा—सारी मानवी सभ्यता।
जो सैनिक कल इस तरह का भाषण दे रहा था। युरेनियम युक्त बम की दास्तान सुनकर ख़ामोश हो गया। ऊपर कोई तो है, सबकी आँखें जब दुखी होती हैं उस ओर ही देखती हैं। उस सैनिक ने भी हताशा से आकाश की ओर देखा। और आकाश में रूसी जहाज़ झिलमिलाए। दौड़ कर उचित स्थान लिया और जवाब देने के लिए एंटीक्राफ़्ट गन तान दी।
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