डूब जाएगा सारा जहाँ

01-12-2024

डूब जाएगा सारा जहाँ

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 266, दिसंबर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

उस उपेक्षा के मारे हैं, 
जिस अपेक्षा में सारे हैं। 
 
जुगनुओं से क्या अँधेरा हटेगा, 
फिर चाहे अनगिनत तारे हैं। 
 
तेरी रहमत की नज़र हो, 
कई दिल बेसहारे हैं। 
 
बीच में जल भरा हुआ है, 
इधर किनारे उधर किनारे हैं। 
 
डूब जाएगा सारा जहाँ, 
दो बूँद ढलके खारे हैं। 
 
आँधियाँ आएँगी पुरज़ोर, 
आस के दीये फिर बारे हैं। 
 
जीत की तरफ़ सब हैं, 
वह उनका भी जो हारे हैं। 
 
मौत का वैसे ही अपवाद है, 
ज़िन्दगी ने अधिक मारे हैं। 
 
वही नज़रों को उतारे थे, 
वही नज़रों से उतारे हैं। 
 
वह दीपक ही रोशनी देते, 
जो अपनी लौ को जारे हैं। 
 
बाल सफ़ेद निस्तेज चेहरा, 
सुप्रीम कोर्ट के इशारे हैं। 
 
हर ज़र्रा मुस्कुराता उससे, 
फिर भी कितने बेसहारे हैं। 

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