सुहानी बातें
हेमन्त कुमार शर्मा
सुहानी बातें,
मन की घातें।
तुम्हारे नयन बोलते,
हमारे छंद तोलते।
मुस्कान ओष्ठों पे,
दिखें जब हम आते।
अँधेरे गहरे हैं,
चहुंँ ओर पहरे हैं।
बस देखने की चाह,
जब मेघ छाते।
कहे, सहे सारे शब्द,
मस्तिष्क की थी ख़ब्द।
चाँद तारे की सब बातें हैं,
प्रेम में सब ये झूठ,
सब मुँह पर लाते।
सुहानी बातें,
मन की घातें।
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