सब भ्रम है

01-06-2024

सब भ्रम है

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 254, जून प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

सब भ्रम है, 
कहते थे, 
मिलेगा उतना ही, 
जितना किया श्रम है। 
 
सच की वकालत, 
चलती नहीं, 
झूठी बात मिटती नहीं। 
पैसे से पीछे वाला आगे, 
व्यर्थ क्रम है। 
 
इसको भी बरसों जाँचा है, 
आजकल बदली भाषा है। 
नए धुरंधर भी देख लिए, 
उनका भी, 
पुराना उपक्रम है। 
 
सब भ्रम है। 

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