बाद मुद्दत के मिले हो तुम

15-10-2025

बाद मुद्दत के मिले हो तुम

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 286, अक्टूबर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

सब ठीक है कह देता हूँ, 
अपने आप से बदला लेता हूँ। 
 
जहाँ से मेरे लिए मोती गिरे, 
उन पलकों सलाम करता हूँ। 
 
ऐ दोस्त छुपाते बहुत हो तुम, 
मैं मुस्कान से हाल जान लेता हूँ। 
 
बाद मुद्दत के मिले हो तुम, 
किसी दुआ का नाम लेता हूँ। 
 
एक फ़क़ीर ने कहा था मुझे, 
मन नदी को समंदर देता हूँ।

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