तुम चाँद हो

15-08-2024

तुम चाँद हो

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 259, अगस्त द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

तुम चाँद हो कहने से—
पेट भी भर जाना चाहिए। 
रूखा सूखा खा कर, 
गुज़ारा कर लेंगे, 
शब्द यह, 
पर मन को समन्दर चाहिए। 
 
काग़ज़ आज भी कोरे रह गए, 
लिखने का साहस ही नहीं, 
विद्रोह भरा मन में, 
और शासन को प्रशंसा चाहिए। 
 
छूने से सोना क्या बन पाएगा, 
यह पारस का काम है। 
लेखक एक सामान्य, 
लेखन के लिए
बस स्थिति असामान्य चाहिए। 

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