वह पथ अगम्य

01-11-2024

वह पथ अगम्य

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 264, नवम्बर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

कहाँ की बीमारी कहाँ पर उतारी, 
दिल का बोझा दिमाग़ पर सवारी। 
 
दरवाज़े देखें हैं सभी पर थे ताले, 
सब की टूटी है सभी पर ऐतबारी। 
 
जिस पथ की कही वह पथ अगम्य, 
वह भटकेगा लक्ष्य ले संसारी। 
 
शाम घिर आई फिर से यहाँ पर, 
मन उलझा रहा जाने की तैयारी। 
 
कैसी बेहोशी सी कैसा होश आया, 
सारे ज़हन में एक नशा सा तारी। 

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