अपने अन्दर

01-02-2025

अपने अन्दर

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 270, फरवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

बैठ के अपने अन्दर झाँकना होगा, 
समन्दर गहरे को भी नापना होगा। 
 
कुछ उठ आएँगे किनारे की तरफ़, 
उन विचारों को भी तापना होगा। 
 
मिल के बैठेंगे उस पेड़ की धूप में, 
जिसका सिलवटों से सामना होगा। 
 
इस दिल के आईने में दरार है, 
ख़ुद को इन टुकड़ों में मापना होगा। 
 
तू कहता है अब ख़त्म सब कुछ, 
ठहर दिल को भी साधना होगा। 

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