आइए ग़म से दो चार करें

01-11-2025

आइए ग़म से दो चार करें

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 287, नवम्बर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

आइए ग़म से दो चार करें, 
अपनों सा अपनों से व्यवहार करें। 
 
कोई अहंकारी हो रुष्ट क्या चिन्ता, 
हृदय सज्जन के न वार करें। 
 
झूठ से रोज़ मुलाक़ात होती है, 
सच का और इन्तज़ार करें। 
 
घूँट बिखरी है अन्तर के सूक्ष्म में, 
बस कंठ से प्यास का इज़हार करें। 
 
बाकमाल है तेरी उपेक्षा दोस्त, 
कण कण में है और इन्तज़ार करें। 

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