फ़ैसले थे फ़ासला था

01-01-1970

फ़ैसले थे फ़ासला था

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 282, अगस्त प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

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बेक़रारी भी नहीं थी, 
इन्तज़ारी भी नहीं थी। 
 
लिख लिया था नाम दिल पर, 
इख़्तियारी भी नहीं थी। 
 
फ़ैसले थे फ़ासला था, 
होशियारी भी नहीं थी। 
 
वह फ़सल का भाग लेता, 
खेती बाड़ी भी नहीं थी। 
 
उन तरानों में बसा वह, 
जानकारी भी नहीं थी। 

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