रोज़ मरना होगा जीने के लिए

15-11-2025

रोज़ मरना होगा जीने के लिए

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 288, नवम्बर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

मतलब से है एक पहचान, 
बिना कारण नमस्ते भी नहीं। 
 
भीड़ का अनुभव नहीं था, 
और शहर में बसते भी नहीं। 
 
ऐ मेरे दोस्त तेरा था सब किया, 
कैसे कहते कि हम सस्ते भी नहीं। 
 
रोज़ मरना होगा जीने के लिए, 
जीने के लिए और रस्ते भी नहीं। 
 
झगड़ा यह था उसे पसंद नहीं था, 
और ज़ख़्म हँसते भी नहीं। 

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