मैंने भी एक किताब लिखी है

01-02-2025

मैंने भी एक किताब लिखी है

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 270, फरवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

मैंने भी एक किताब लिखी है,
जिसमें सपने सच हो जाते हैं,
अपने हिस्से का सब पाते हैं।
 
यह किताब पीड़ा की नहीं है,
और पलायन की भी नहीं है।
खल नायक विजेता नहीं है,
हार से नायक टूटता नहीं है ।
यह लिखने में संशय नहीं है,
कोई बाधा भी नहीं दिखी है।
मैंने भी एक किताब लिखी है।
 
माँ के मरने की राह नहीं तकते,
भाई के भू की चाह नहीं रखते,
अलंकार भी मुख से नहीं बकते,
सदा शब्दों को मीठा ही चखते।
इस तरह के पात्र हैं किताब के ,
सपने सी यह झूठ सी दिखी है।
मैंने भी एक किताब लिखी है।
 
यह किताब लिखना संभव नहीं है।

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