फिर बादल बन जाओगे

15-07-2025

फिर बादल बन जाओगे

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 281, जुलाई द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

फिर बादल बन जाओगे, 
फिर आँखों में भर आओगे। 
 
फिर आने में देर करोगे, 
फिर कोई फूल लाओगे। 
 
सपनों की टूटन छूकर, 
गंगा को छू आओगे। 
 
दिल्ली में कोई सुनता नहीं, 
यह यमुना को कह आओगे। 
 
आँखों की जवाबदेही, 
आँखों से कर आओगे। 
 
छाया से बचते फिरते हो, 
धूप से धोखा खाओगे। 

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