बारिश

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 259, अगस्त द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

कहीं घर की तबीयत ज़रा ठीक से कहने पर उसकी जर्जर हो रही हालत की तरफ़ ध्यान जाता। जिससे उसकी रिपेयर का सवाल उठ खड़ा होता। इसी कारण किशन इस तरफ़ ध्यान ही नहीं देता। मकान की ख़स्ता हालत से जी घबराने लगता। जेब में फूटी कौड़ी नहीं। इससे अच्छा उस तरफ़ ध्यान ही ना दो। शुतुरमुर्ग की तरह आँखें बन्द कर लो। मुसीबत दिखेगी ही नहीं। 

प्लस्तर कई जगह से उखड़ा हुआ था। बारिश में दीवारों और छत पर नमी आ जाती। पतनाले की जगह पर घास फूस उग आया। मिट्टी जम गई थी। रात की लगातार बरसात के कारण भीतर की तरफ़ दीवार से सट कर पानी की एक लकीर बह रही थी। फ़र्श पर पानी इकट्ठा हो गया था। थोड़ा ही था पर पूरे कमरे में फैल गया था। 

पतनाले की उपर्युक्त स्थिति का पता चला था, जब किशन ने छत पर जाकर देखा। 

पानी रुका पड़ा था। घंटा भर लग गया साफ़ सफ़ाई में। 

“कहाँ फँस गया। ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। क्या साफ़ सफ़ाई का मैंने ही ठेका ले लिया है,” झल्लाते हुए अपने आप से कहा। 

बारिश की शुरूआत थी। अपने मकान की तरफ़ देख कर वह घबरा पड़ा था। ले-देकर रहने का एक यही स्थान था। 

‘कहाँ जाएगा अगर बरसात में मकान . . .’ इस तरह के विचार रह रह कर किशन के ज़ेहन में चलते रहते। 
बारिश दिन में तो नहीं थी। पर रात बादल गरजने लगे। 

बाहर बादल गरजते अन्दर किशन की नींद उड़ जाती—कहीं मकान ही ना ढह जाए और वह, बीवी बच्चे सब सोते-सोते ही बिना टिकट के ऊपर पहुँच जाएँ।

सुबह भी बारिश नहीं हटी। बाहर, उसके मकान की ओर निचाई थी। पानी का बहाव बरसात में इधर ही हो जाता। बस तेज़ होनी चाहिए, लगातार। 

छतरी लेकर मकान से बाहर निकल कर देखा। छत पर जाकर देखा। मकान के चारों तरफ़ पानी बह रहा था। 
मटमैला, भूरे रंग का। कच्ची नाली उसके मकान के दाएँ ओर थी; वहाँ पानी तीव्र था। उसने देखा पानी मकान की दीवार से टकरा कर आगे बह रहा था। मकान गिर भी सकता था। 

आनन-फ़ानन में बच्चों को बाहर निकाला। आस पड़ोस के लोगों ने जेसीबी मशीन को बुलाकर नाले के पानी को सीधा किया। मिट्टी को हटा कर पानी को बहने दिया। 

चुनावों के दिन कुछ महीने में आरंभ होने वाले थे। जिसकी जेसीबी थी उसने एक रुपए नहीं लिया। वह अगले चुनाव में खड़ा होने वाला था। नहीं तो उसके बारे में मशहूर था कि वह एक रुपैया भी किसी के कन्नी नहीं छोड़ता। 

बारिश थम गई थी। किशन की सोच भी। मकान फ़िलहाल ढहने से बच गया। पानी धीरे-धीरे सूख ही जाएगा। अगर बारिश जल्दी फिर ना हुई। 

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