अगर प्रश्नों के उत्तर मिल जाते

01-01-2025

अगर प्रश्नों के उत्तर मिल जाते

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 268, जनवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

अगर प्रश्नों के उत्तर मिल जाते, 
हम भी बैठे बैठे वली हो जाते। 
 
क्यों हरदम एक ख़ामोशी सी है, 
सब क्यों काँटों में कली हो जाते। 
 
कुछ अच्छों की सोहबत में बिगड़े, 
कुछ बिगड़ों में भी सही हो जाते। 
 
उस उल्फ़त का ज़िक्र करो न अब, 
काँटों के रास्ते मख़मली हो जाते। 
 
इन ऊँचें लोगों की नगरी में चैन कहाँ, 
चल फिर गाँव की टूटी गली हो जाते। 
 
मयख़ाने से निकले तो जाएँगे कहाँ, 
इन नक़ली लोगों में नक़ली हो जाते। 

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