नया साल

01-01-2022

नया साल

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 196, जनवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

नया साल
नए रंग लेकर आया है,
टूटे बिखरे ख़्वाबों को
फिर से जोड़ कर,
एक नया एहसास लेकर आया है।
 
बीते हैं जो पल विषाद में,
उनमें एक नया
आह्लाद लेकर आया है।
 
छोड़ चुके हैं जो अपने
हमें समझ कर बोझ,
उनको रिश्तों का
अहसास करवाने आया है।
 
शिकस्त मिली है हमें बहुत
पिछले कुछ वर्षों से
नए साल जय विजय का
एक नया दौर लेकर आया।
 
बहुत हो चुका है
अन्याय का तांडव
नववर्ष लेकर शनि को
न्याय का डंका बजाने आया है।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
नज़्म
बाल साहित्य कविता
सामाजिक आलेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में