आग़ाज़

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 192, नवम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

इन अँधेरों को बोलिए 
रोशनी का आग़ाज़ करें।
 
इन नफ़रतों को बोलिए
मोहब्बत का इज़हार करें 
 
इन दुखों को बोलिए 
सुखों का आग़ाज़ करें।
 
इन ग़मों को बोलिए 
इश्क़ का थोड़ा इज़हार करें।
 
इन तारों को बोलिए 
हमारे चाँद का आग़ाज़ करें।
 
इन परवानों को बोलिए 
जलने से पहले 
आपने राग को अनुराग करें।
 
इन मुर्दों को बोलिए 
जलने से पहले 
नफ़रत को छोड़कर
मोहब्बत का आग़ाज़ करें।

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