नन्ही गुड़िया

01-02-2025

नन्ही गुड़िया

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 270, फरवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

नन्ही नन्ही गुड़िया आई
चाँद सितारे साथ है लाई। 
दो चोटियाँ बनाकर आई 
देखकर उसको 
सबके चेहरा पर 
मुस्कुराहट आई। 
लाल-लाल गालों से मुस्कुराती 
दूध जैसे दाँत 
सबको दिखाती 
नन्हे नन्हे हाथों से क ख ग 
लिख कर आई, 
लिखावट उसकी
सबको पसंद आई। 
गोल गोल गालों को मटकाती 
ख़ुद को परियों की 
रानी कहलाती। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
बाल साहित्य कविता
नज़्म
सामाजिक आलेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में