जीना सीखो

01-08-2022

जीना सीखो

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 210, अगस्त प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

अपने लिए न सही
दूसरों के लिए जीना सीखो। 
ग़म से भरे चेहरों को
ज़रा खिलखिलाना सीखो। 
 
मोहब्बत में तो
हर कोई मुस्कुराता है
दिल टूट जाने पर भी
ज़रा जीना सीखो। 
 
अपनो ने दग़ा दे दिया तो
क्या हुआ? 
ग़ैरों को अपना बनाकर
गले लगाना सीखो। 
 
मिट्टी हुए जीवन के
सँजोये हुए ख़्वाब तो
क्या हुआ? 
उस मिट्टी को ही
अपने सीने से लगाकर
अपना बनाना सीखो। 

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