तांडव 

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 259, अगस्त द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

मृत्यु तुम क्यों 
आ रही हो 
यूँ क्यों बार-बार 
मुस्कुरा रही हो? 
 
क्या प्रलय करता हुआ 
जल तुमको भाता है? 
क्या सड़ती हुई 
लाशें तुम्हें सुकून देती हैं? 
 
क्या तुमको कभी 
किसी ने पुकारा है? 
क्या तुमको कभी 
किसी ने ठुकराया है? 
 
किस क्रोध में 
तुम बरस रही? 
किस दर्द में तुम 
तूफ़ां बन बहक रही? 
 
क्या देवों की भूमि में
आ बसे है राक्षस? 
तुम जिनका अब 
नरसंहार कर रही? 

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