महादानव

01-12-2024

महादानव

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 266, दिसंबर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

जीवित नहीं 
मुर्दे हो तुम 
महानगर के महामानव नहीं
महादानव हो तुम। 
 
अपने मतलब के लिए 
बनाते हो हर किसी को 
अपने ख़्वाबों का परिंदा
फिर कहते हो 
अब भी मैं हूँ सब में ज़िन्दा। 
 
शर्म कर्म बेच कर अपनी 
दो टके के लोगों को
कहते हो सब को 
किरदार मेरा है
अब भी सबसे उम्दा। 

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